9 नवम्बर को अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाएगा। अब तक दोनो पक्षों ने पूरे संयम का परिचय दिया है। लेकिन असल संयम की घड़ी अब आयी है। उत्तर प्रदेश पूरे हाई अलर्ट पर है। कड़े सुरक्षा इंतजाम है। लेकिन यदि दोनो पक्ष आपसी सौहार्द को बनाये रखें तो सुरक्षा की आवश्यकता नहीं। जब फैसला आये तो मुस्लिमों को यह सोचना होगा कि आखिर अयोध्या में राम मन्दिर नहीं होगा तो कहां होगा और हिन्दूओं को सोचना होगा कि विवाद आखिर है किस पर उस मर्यादा पुरूषोत्तम राम के लिये जिनका पूरा जीवन ही त्याग और मर्यादा की प्रतिमूर्ति रहा। जिन्होंने मात्र एक वचन के लिये पूरा राज और सिंहासन त्याग दिया। यहां तक कि लंका को जीत कर भी विभीषण का राज्यभिषेक करवाया।
अगर ये सब भी याद ना रहे तो याद रखना अपने उन करीबी दोस्तों को जिनके साथ हम होली, दिवाली ईद मनाते आये हैं। सुख-दुख में एक साथ खड़े रहें है। दोस्तों ने अपनी दोस्ती के लिये मार खाई है मगर ना धर्म आड़े आया ना समाज। हमें बस उसी मर्यादा का पालन करना है। हमें याद करना है एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान व्यक्तिवों को जो कुरान के साथ-साथ गीता पढ़ते रहे।