सिद्धारमैया और शिवकुमार में सीएम बनने की होड़, समझिए किसका पलड़ा भारी

दरअसल शनिवार को बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक दल की बैठक एक प्राइवेट होटल में होगी। इसमें पार्टी के सभी 135 नवनिर्वाचित विधायक शामिल होंगे और अपना नेता चुनेंगे। पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेगा। बैठक शाम छह बजे शुरू होगी।
सीएम पद का प्रबल दावेदार कौन?
कांग्रेस के 75 साल के नेता सिद्धारमैया को कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। सिद्धारमैया वर्ष 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाल चुके हैं। दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने पूर्व में कई बार कहा था कि यह मेरा अंतिम चुनाव है। मैं चुनावी राजनीति से संन्यास ले लूंगा। हालांकि शनिवार को सिद्धारमैया ने संकेत दिया कि उनकी निगाहें भविष्य की संभावनाओं पर टिक गई हैं। मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने की इच्छा जता चुके सिद्धारमैया अब आगे होने वाले घटनाक्रम का इंतजार कर रहे हैं।
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खरगे को पछाड़ते हुए सिद्धारमैया बने थे सीएम
साल 2013 में एम. मल्लिकार्जुन खरगे (वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष) और तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री को पछाड़ते हुए सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने थे। करीब ढाई दशक से ‘जनता परिवार’ से जुड़े रहे और कांग्रेस विरोधी रुख के लिए पहचाने जाने वाले सिद्धारमैया 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। साल 2004 में खंडित जनादेश के बाद कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाई थी, जिसमें कांग्रेस नेता एन. धर्म सिंह मुख्यमंत्री जबकि तत्कालीन जद (एस) नेता सिद्धारमैया को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।
कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं सिद्धारमैया
सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह समुदाय राज्य में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। सिद्धारमैया को जद (एस) से बर्खास्त किए जाने के बाद पार्टी के आलोचकों ने दावा किया था कि उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि जद (एस) नेता एच.डी. देवेगौड़ा कुमारस्वामी को पार्टी के नेता के रूप में बढ़ाने के इच्छुक थे। अधिवक्ता सिद्धारमैया ने उस वक्त भी ‘राजनीति से सन्यांस’ की बात कहते हुए वकालत के पेशे में लौटने का विचार व्यक्त किया था। उन्होंने अपनी पार्टी के गठन की संभावना को खारिज करते हुए कहा था कि वह धनबल नहीं जुटा सकते।
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2006 में बने कांग्रेसी
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने उन्हें लुभाते हुए पार्टी में पद देने की बात कही थी लेकिन उन्होंने कहा था कि वह बीजेपी की विचारधारा से सहमत नहीं है और 2006 में समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। यह एक ऐसा कदम था जिसके बारे में कुछ सालों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था।
पहली बार कब विधानसभा पहुंचे सिद्धारमैया
सिद्धारमैया 1983 में लोकदल के टिकट पर चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे। उन्होंने इस सीट से पांच बार जीत हासिल की और तीन बार पराजय का स्वाद चखा। मैसुरू जिले के गांव सिद्धारमनहुंडी में 12 अगस्त, 1948 को जन्मे सिद्धारमैया ने मैसुरू विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली और बाद में यहीं से कानून की डिग्री हासिल की।
डीके शिवकुमार की तपस्या का मिला फल
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार की तपस्या रंग लाई। अदालती मामलों, आलाकमान के अपने बारे में संदेह और सिद्धारमैया के साथ प्रतिद्वंद्विता से बेपरवाह उन्होंने कड़ा अभियान चलाया। राज्य इकाई के उनके नेतृत्व को एक प्रमुख योगदान के रूप में स्वीकार किया जाता है। अगर सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री के रूप में चुना जाता है तो वह कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, यह कर्नाटक में अगला बड़ा राजनीतिक शो हो सकता है। दरअसल उनकी महत्वाकांक्षा और उनके प्रयासों को देखते हुए डीके शिवकुमार के कार्यों का कांग्रेस की जीत के बाद के प्रक्षेपवक्र पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
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डीके ने बयान संग दिया मैसेज
कर्नाटक में सीएम बनाए जाने की घोषणा से पहले कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने बड़ा बयान दिया है। डीके शिवकुमार ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि सिद्धारमैया के साथ मेरे मतभेद हैं लेकिन मैं साफ कर देना चाहता हूं कि हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है। मैंने कई बार पार्टी के लिए कुर्बानी दी है और सिद्धारमैया जी के साथ खड़ा हुआ हूं। मैंने सिद्धारमैया को सहयोग दिया है।
जीत पर क्या बोले थे डीके
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित नजर आने के बाद शनिवार को भावुक हो गए और प्रदेश का नेतृत्व करने के लिए उनमें विश्वास जताने के लिए गांधी परिवार का आभार जताया। शिवकुमार कांग्रेस के प्रदर्शन के बारे में बात कर रहे थे, तो उनकी आंखों से आंसू निकल आए। शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने पार्टी आलाकमान को बताया था कि वह कर्नाटक में पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि मैं पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को इस जीत का श्रेय देता हूं। लोगों ने हममें विश्वास जताया और नेताओं ने हमारा समर्थन किया। यह सामूहिक नेतृत्व है और हमने मिलकर काम किया। शिवकुमार ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष खरगे से कहा था कि हम कर्नाटक जीतकर देंगे।
कांग्रेस के संकटमोचक माने जाते हैं डीके
डीके शिवकुमार को कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है। जो कि कांग्रेस आलाकमान के हर आदेश को मानते हैं और पार्टी के साथ खड़े रहते हैं। इसी कारण उन्हें कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता है। हालांकि डीके शिवकुमार 2013 से ही मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं लेकिन सिद्धारमैया ही हर बार बाजी मार जाते हैं। ऐसे में इस बार उनको काफी उम्मीदे हैं।
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यह भी बन सकता है समीकरण
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ कर दिया है कि वह मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि कुछ भी हो सकता है। सिद्दारमैया और शिवकुमार रेस में आगे चल रहे हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि सिद्दारमैया को पहले दो साल मौका दिया जाएगा। इसके बाद अगले तीन साल के लिए शिवकुमार मुख्यमंत्री बनेंगे। पार्टी 2028 का चुनाव शिवकुमार के नेतृत्व में लड़ना चाह रही है।
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