INDIA गठबंधन में संयोजक पद को लेकर मंथन जारी, जानिए दौड़ में कौन-कौन?

Opposition Meeting In Mumbai: मुंबई मेंं विपक्षी दलों के गठबंधन की औपचारिक बैठक के बाद आज अहम बैठक होगी। शाम चार बजे तक ‘इंडिया’ गठबंधन के नाम का ऐलान होने की उम्मीद की जा रही है। बैठक के बाद गठबंधन की एक संयोजन समिति का भी ऐलान किया जा सकता है।

हाइलाइट्स
- विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक का आज दूसरा दिन
- आज की बैठक में कॉमन मिनिमन प्रोग्राम पर चर्चा होने की उम्मीद
- शाम को ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता के नाम का हो सकता है ऐलान
- संयोजक के लिए तीन नामों पर हो रही है मुख्य तौर पर चर्चा
संयोजक पद का इतिहास रोचक
- वीपी सिंह 1989 में जब प्रधानमंत्री बने, उससे पहले वह भी कांग्रेस के विरोध में बने विपक्षी गठबंधन के संयोजक पद पर थे। 1989 में केंद्र में राजीव गांधी के नेतृत्व में मजबूत सरकार सत्ता में थी। लेकिन चुनाव से पहले ही वीपी सिंह (VP Singh) ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। वीपी सिंह ने उस समय के सभी प्रमुख विपक्षी दलों को एकजुट किया और राष्ट्रीय गठबंधन बनाया। वीपी सिंह इस विपक्षी गठबंधन के संयोजक बने। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। जीत के बाद प्रधानमंत्री चुनने के लिए राष्ट्रीय गठबंधन की बैठक बुलाई गई। बैठक में देवीलाल (Devilal) के नाम पर सभी सहमत थे, लेकिन देवीलाल ने वीपी सिंह का नाम आगे बढ़ाया। देवीलाल का तर्क था कि वीपी सिंह ने चुनाव में समन्वयक के रूप में बहुत मेहनत की थी, इसलिए प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी सबसे मजबूत है।
- इसी तरह हरिकिशन सिंह सुरजीत 1996 में संयुक्त मोर्चे के समन्वयक थे। सुरजीत की अंतिम मंजूरी के बाद ही एचडी देवेगौड़ा और आईके गुजराल प्रधानमंत्री बने थे।
- बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए में जॉर्ज फर्नांडिस को समन्वयक बनाया था। विपक्षी दलों को कांग्रेस से तोड़कर एनडीए को मजबूत करने में फर्नांडीज का महत्वपूर्ण योगदान था। वाजपेयी ने सभी दलों में समन्वय स्थापित करने के लिए जॉर्ज फर्नांडिस को चुना था। 1998 में जब एनडीए की सरकार बनी, तो जॉर्ज फर्नांडिस को केंद्र में मंत्री बनाया गया। सीटों के आवंटन में फर्नांडीज की अहम भूमिका थी। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 10 सीटों वाली समता पार्टी को रक्षा, कृषि और रेलवे जैसे अहम विभाग मिले थे।
- डॉ. मनमोहन सिंह सरकार के दौरान अहमद पटेल यूपीए के संयोजक थे। कहा जाता है कि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अहमद पटेल के माध्यम से 10 साल तक प्रधानमंत्री कार्यालय चलाया था।
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